शुक्रवार, 3 मई 2013

दुर्गा सप्तशती : चौथा अध्याय




आदि शक्ति ने जब किया महिषासुर का नास
सभी देवता आ गये तब माता के पास

मुख प्रसन्न से माता के चरणों मे सीस झुकाए
करने लगे वह स्तुति मीठे बैन सुनाये॥

हम तेरे ही गुण गाते हैं
चरणों मे सीस झुकाते हैं॥
तेरे जय कार मनाते हैं॥

जय जय अम्बे जय जगदम्बे

जय दुर्गा आदि भवानी की
जय जय शक्ति महारानी की॥

जय अभयदान वरदानी की
जय अष्टभुजी कल्याणी की॥

तुम महा तेज शक्तिशाली हो
तुम ही अदभुत बलवाली हो॥

तुम ही रण चंडी तुम ही महाकाली हो
तुम दासों की रखवाली हो॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

तुम दुर्गा बन कर तारती हो
चंडी बन दुष्ट संहारती हो॥

काली रण मे ललकारती हो
शक्ति तुम बिगड़ी सवांरती हो॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥


हर दिल में वास तुम्हारा है
तेरा ही जगत पसारा है॥

तुमने ही अपनी शक्ति से
बलवान देत्यो को मारा है॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

ब्रह्मा विष्णु महादेव बड़े
तेरे दर पर कर जोड़ खड़े॥

वर पाने को चरणों मे पड़े
शक्ति पा जा दैत्यों से लड़े॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

हर विद्या का है ज्ञान तुझे
अपनी शक्ति पर मान तुझे॥

हर एक की है पहचान तुझे
हर दास का माता ध्यान तुझे॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥



ब्रह्मा जब दर पर आते हैं
वेदों का पाठ सुनाते हैं॥

विष्णु जी चवर झुलाते हैं
शिव शम्भू नाद बजाते हैं॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

तू भद्रकाली है कहलाई
तू पार्वती बन कर आई॥

दुनिया के पालन करने को
तू आदि शक्ति है महामाई॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

निर्धन के तू भण्डार भरे
तू पतितो का उद्धार करे॥

तू अपनी भगति दे करके
भव सागर से भी पार करे॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

है त्रिलोकी मे वास तेरा
हर जीव है मैया दास तेरा॥

गुण गाता जमी आकाश तेरा
हमको भी है विश्वास तेरा॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

दुनिया के कष्ट मिटा माता
हर एक की आस पूजा माता॥

हम और नहीं कुछ चाहते हैं
बस अपना दास बना माता
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

तू दया करे तो मान भी हो
दुनिया के कुछ पहचान भी हो॥

भक्ति से पैदा ज्ञान भी हो
तू कृपा करे कल्याण भी हो॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

देवी ने प्रेम-पुकार करी
माँ अम्बे झट प्रसन्न हुई॥

दर्शन देकर जग की जननी
तब मधुर वाणी से कहने लगी॥

मांगो वरदान जो मन भये
देवो ने कहा तब हर्षाये॥

जब भी हम प्रेम से याद करें
माँ देना दर्शन दिखलाये॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

तब भद्रकाली यह बोल उठी
तुम याद करोगे मुझे जब ही
मै संकट दूर करू तब ही॥

तब भक्त  ख़ुशी हो सब ने कहा
जय जग्तारनी भवानी माँ॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

वेदों ने पार ना पाया है
कैसे शक्ति महामाया है॥

लिखते लिखते यह दुर्गा पाठ
मेरा भी मन हर्षाया है॥

नादान भक्त  पे दया करो
शारदा माता सिर हाथ धरो॥

जो पाठ प्रेम से पढ़े जाये
मुह माँगा माता वर पाए॥

सुख सम्पति उसके घर आये
हर समय तुम्हारे गुण गाये॥

उसके दुःख दर्द मिटा देना
दर्शन अपना दिखला देना॥
हम तेरे ही गुण गाते हैं॥

जैकार स्त्रोत यह पढ़े जो मन चित लाये
भगवती माता उसके सब देंगी कष्ट मिटाए॥

माता के मंदिर मे जा सात बार पढ़े जोए
शक्ति के वरदान से सिद्ध कामना होए॥

'भक्त' निरंतर जो पढ़े एक ही बार
सदा भावी सुख दे भरती रहे भंडार॥

इस स्त्रोत को प्रेम से जो भी पढ़े सुनाये
हर संकट मे भगवती होवे आन शये॥

मान इज्जत सुख सम्पति मिले 'भक्त' भरपूर
दुर्गा पाठी से कभी रहे ना मैया दूर॥

'भक्त' की रक्षा सदा ही करो जगत महारानी
जगदम्बे महाकालिका चंडी आदि भवानी॥

15 टिप्‍पणियां:

  1. जय माता की सब का कल्याण करे

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