चंड मुंड चतुरंगिणी सेना को ले साथ
अस्त्र शस्त्र ले देवी से चले करने दो हाथ॥
अस्त्र शस्त्र ले देवी से चले करने दो हाथ॥
गये हिमालय पर जभी दर्शन सब ने पाए
सिंह चढ़ी माँ अम्बिका खड़ी वहां मुस्काए॥
लिये तीर तलवार दैत्य माता पे धाय
दुष्टों ने शस्त्र देवी पे कई बरसाए।
क्रोध से अम्बा की आँखों में भरी जो लाली
निकली दुर्गा के मुख से तब ही महाकाली॥
खाल लपेटी चीते की गल मुंडन माला
लिये हाथ में खप्पर और एक खड्ग विशाला॥
लपलप करती लाल जिव्हा मुहं से थी निकाली
अति भयानक रूप से फिरती थी महाकाली॥
अट्टाहास कर गरजी तब दैत्यों में धाई
मारधाड़ करके कीनी असुरों की सफाई॥
पकड़ पकड़ बलवान दैत्य सब मुहं में डाले
पावों नीचे पीस दिए लाखों मतवाले॥
रुण्डमाला में काली सीस पिरोये
कइयों ने तो प्राण ही डर के मारे खोये॥
चंड मुंड यह नाश देख आगे बढ़ आये
महाकाली ने तब अपने कई रंग दिखाए॥
खड्ग से ही कई असुरों के टुकड़े कर दीने
खप्पर भर भर लहू लगी दैत्यों का पीने॥
दोहा :
चंड मुंड का खडग से लीना सीस उतार
आ गई पास भवानी के मार एक किलकार॥
कहा काली ने दुर्गा से किये दैत्य संहार
शुम्भ निशुम्भ को अपने ही हाथों देना मार॥
तब अम्बे कहने लगी सुन काली मम बात
आज से चामुंडा तेरा नाम हुआ विख्यात॥
चंड मुंड को मार कर आई हो तुम आज
आज से घर घर होवेगा नाम तेरे का जाप॥
जो श्रद्धा विश्वास से सप्तम पढ़े अध्याय
महाकाली की कृपा से संकट सब मिट जाए॥
नव दुर्गा का पाठ यह करे कल्याण
पढने वाला पायेगा मुहं मांगा वरदान॥
बोलिए जय माता दी।
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