हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति
विशेष द्वारा स्थापित किया गया नहीं है। यह पुराने समय से चले आ रहे अलग-अलग मतों
और आस्थाओं से मिलकर बना है। समय के साथ-साथ इस धर्म में ऐसे नए विश्वास और मत
जुड़ते गए, जो समय की कसौटी पर खरे थे। इसलिए ही हिन्दू धर्म को एक विकासशील धर्म कहा
जाता है। हिन्दू धर्म के मूल तत्वों में सत्य, अहिंसा,
दया, क्षमा और दान मुख्य हैं और इन सबका विशेष
महत्त्व है। इसलिए अपने मन, वचन और कर्म से हिंसा से दूर
रहने वाले मनुष्य को हिन्दू कहा गया है। हिन्दू धर्म का इतिहास वेदकाल से भी पहले
का माना गया है और वेदों की रचना 4500 ई·पू· शुरू हुई। हिन्दू इतिहास ग्रंथ महाभारत और पुराणों
में मनु (जिसे धरती का पहला मानव कहा गया है) का उल्लेख किया गया है। पुराणों के
अनुसार हिन्दू धर्म सृष्टि के साथ ही पैदा हुआ। पुराना और विशाल होने के चलते इसे ‘सनातन धर्म’ के नाम से भी जाना जाता है।
ईसा मसीह ईसाई धर्म के
प्रवर्तक हैं । हजरत मुहम्मद इस्लाम के पैगम्बर माने जाते हैं । किन्तु हिन्दुत्व
का न तो कोई प्रवर्तक है और न ही पैगम्बर । हिन्दुत्व एक उद्विकासी व्यवस्था है
जिसमें विभिन्न मतों के सह-अस्तित्व पर बल दिया गया है । किसी को किसी एक पुस्तक
में लिखी बातों पर ही विश्वास कर लेने के लिए विवश नहीं किया गया है । हिन्दू धर्म
में फतवा जारी करने की कोई व्यवस्था नहीं है । यह उदारता और सहनशीलता पर धारित
धर्म है ।
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