शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

ईश्वर सब की सुनता है

                 जाड़े का दिन था और शाम होने आयी। आसमान में बादल छाये थे। एक नीम के पेड़ पर बहुत से कौए बैठे थे। वे सब बार बार काँव-काँव कर रहे थे और एक दूसरे से झगड़ भी रहे थे। इसी समय एक मैना आयी और उसी पेड़ की एक डाल पर बैठ गई। मैना को देखते ही कई कौए उस पर टूट पड़े । बेचारी मैना ने कहा “बादल बहुत हैं इसलिए आज अंधेरा हो गया है। मैं अपना घोंसला भूल गयी हूं, इसलिए आज रात मुझे यहाँ बैठने दो।“
कौओं ने कहा “नहीं यह पेड़ हमारा है तू यहाँ से भाग जा।“
मैना बोली “पेड़ तो सब ईश्वर के बनाये हुए है। मैं बहुत छोटी हूं तुम्हारी बहन हूं, तुम लोग मुझ पर दया करो और मुझे भी यहाँ बैठने दो।“
कौओं ने कहा – “हमें तेरी जैसी बहन नहीं चाहिये। तू बहुत ईश्वर का नाम लेती है तो ईश्वर के भरोसे यहां से चली क्यों नहीं जाती । तू नहीं जायेगी तो हम सब तुझे मारेंगे।“

         कौए तो झगड़ालू होते ही हैं, वे शाम को जब पेड़ पर बैठने लगते है तो उनसे आपस में झगड़ा किये बिना नहीं रहा जाता वे एक-दूसरे को मारते है और काँव काँव करके झगड़ते रहते है। कौन कौआ किस टहनी पर रात को बैठेगा। यह कोई झटपट तय नहीं हो जाता। उनमें बार-बार लड़ाई होती है, फिर किसी दूसरी चिड़या को वह पेड़ पर कैसे बैठने दे सकते हैं। आपसी लड़ाई छोड़ कर वे मैना को मारने दौड़े।

        कौओं को काँव काँव करके अपनी ओर झपटते देखकर बेचारी मैना वहां से उड़ गयी और थोड़ी दूर जाकर एक आम के पेड़ पर बैठ गयी।

        रात को आंधी आयी, बादल गरजे और बड़े बड़े ओले बरसने लगे। बड़े आलू जैसे ओले तड़-भड़ बंदूक की गोली जैसे गिर रहे थे। कौए काँव-काँव करके चिल्लाये। इधर से उधर थोड़ा बहुत उड़े परन्तु ओलों की मार से सब के सब घायल होकर जमीन पर गिर पड़े। बहुत से कौए मर गये।

        मैना जिस आम पर बैठी थी उसकी एक डाली टूट कर गिर गयी। डाल भीतर से सड़ गई थी और खोखली हो गई थी। डाल टूटने पर उसकी जड़ के पास पेड़ में एक खोंडर हो गया । छोटी मैना उसमें घुस गयी और उसे एक भी ओला नहीं लगा।

        सवेरा हुआ और दो घड़ी चढने पर चमकीली धूप निकली । मैंना खोंडर में से निकली पंख फैला कर चहक कर उसने भगवान को प्रणाम किया और उड़ी। पृथ्वी पर ओले से घायल पड़े हुए कौए ने मैना को उड़ते देख कर बड़े कष्ट से पूछा “मैना बहन तुम कहां रही, तुमको ओलों की मार से किसने बचाया?”
मैना बोली – “मैं आम के पेड़ पर अकेली बैठी थी और भगवान की प्रार्थना कर रही थी। दुःख में पड़े असहाय जीव को ईश्वर के सिवा कौन बचा सकता है। लेकिन ईश्वर केवल ओले से ही नहीं बचाते और केवल मैना को ही नहीं बचाते। जो भी ईश्वर पर विश्वास करता है और ईश्वर को याद करता है, उसे ईश्वर सभी आपत्ति-विपत्ति में सहायता करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं।“

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